क्या इनको नहीं है कोरोना का डर,क्यू लाखो की संख्या मे निकले मजदूर घर के लिए

एक ओर जहां देश में कोरोना वायरस से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर 21 दिन के लोग डाउन में एक दिल दहला दने वाला नजारा सामने आया है। शनिवार को देश भर में मजदूर अपने गांव के लिए पलायन होने लगे। जिसके चलते देश की राजधानी दिल्ली में जबरदस्त भीड़ उमड़ पडी। इसे देख सबकी आंखें खुली की खुली रह गई।

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ये है मजदूरो की मजबूरी

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जब एक मजदूर से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि क्या करें यहां ना ही खाना है ना ही काम है तो हम तो ऐसे ही मर जाएंगे इन मजदूर वाले वालों की आंखों में एक अजब सी दहशत दिख रहा था।सबको यही लग रहा था कि किसी तरह वह अपने घर को पहुंच जाए।

मजदूरों को कोरोना बीमारी हो जाने का थोड़ा भी डर नहीं था ना ही उनके उनसे किसी और का संक्रमित हो जाने का भी डर था। बस वह अपने घर पहुंचने की धुन में थे और चाहते थे कि कैसे भी किसी बस में वह लटककर भी अपने घर पहुंच जाएं।

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शनिवार को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर भारी मात्रा में मजदूरों का जमावड़ा देखा गया। क्या करें इन  सब मजदूर की जेब खाली हो गई है इनके पास ना ही कोई काम है और ना ही पैसा। यह वही मजदूर हैं जो दिन-रात मिलो मे ,घरों मे और अनेक जगहों पर काम करते रहते थे।आज वह अपने परिवार के साथ सर पर अपना बैग लिए,हाथों में बच्चे लिए इस टर्मिनल पर खड़े थे।

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कई मजदूर पैदल ही घर के लिए निकले

इतना ही नहीं इन मजदूरों में कुछ ऐसे भी मजदूर थे जो यह जानते हुए भी कि 21 दिनों के लॉक डाउन है, सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं,कोई गाड़ियां भी नहीं मिल रही, यह सब ना सोचते हुए भी वह पैदल ही अपने घर को निकल गए। कोई यह सोच भी नहीं सकता कि कोई मजदूर पटना और समस्तीपुर गोरखपुर आदि जगहों के लिए पैदल भी जा सकता है।

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मजदूर भी बेचारे क्या करें आज उनकी मजबूरी को कोई नहीं समझ रहा।तभी तो वह इतना बड़ा कदम उठा रहे हैं यह नजारा दिल्ली का ही नहीं देश के कई बड़े बड़े शहरों में देखा जा सकता है।

गृह मंत्रालय ने दिये ये आदेश

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इस लॉक डाउन में मजदूरों के पलायन को समस्या को देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को इन मजदूरों के लिए राहत शिविरों की स्थापना के लिए बोला है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को राज्य आपदा निधि का उपयोग करने की स्वीकृति दे दी है।

मंत्रालय ने कहा है कि लोग जहां-तहां फंसे हैं उनके लिए उनके जगह पर ही रहने का व्यवस्था किया जाए और राहत सामग्री दिया जाए।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने राज्य मार्गों से गुजर रहे इन लोगों को राजमार्गों के बगल में एक तंबू लगाकर रहने का अच्छी तरह से व्यवस्था करे क्योंकि इस समय सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ही जरूरी है नहीं तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।