समय कब किसको क्या बना दे यह कोई नहीं जानता, कोई राजा से रंग भी बन जाता है तो कोई भिखारी से अमीर। कुछ ऐसे ही कहानी एक ग्वालियर से सामने आई है। एक बहुत ही अच्छे परिवार जिनके पिता, चाचा और भाई पुलिस अफसर, पत्नी न्यायिक सेवा में और बहन दूतावास में और खुद वह 1999 बैच का एक पुलिस अफसर, परंतु मानसिक संतुलन खोने के बाद ग्वालियर की सड़कों पर भिखारी की तरह कचरे में खाना खोजते हुए नजर आया।
जब रात को गश्त लगाते उनके बैचमेट पुलिस अफसरों को उस भिखारी ने उनके नाम से बुलाया तो सभी चौक गए क्योंकि यह भिखारी उनका बैचमेट और शानदार निशानेबाज रहा उनका साथी था। उसकी यह हालत देख पुलिस अफसर की बिल्कुल ही दिल बैठ गया। इनको साथियों ने तत्काल अपने दोस्त को आश्रम में भेज इलाज शुरू करवा दिया।
भिखारी निकला पुलिस अफसर
बता दें कि यह भिखारी पुलिस के बेस्ट शूटर रहे मनीष मिश्रा है, रमेश कुमार, विजय भदोरिया के साथ मनीष मिश्रा भी 1999 के बैच में अधिकारी चुने गए थे, मनीष के पिता और चाचा दोनों एसपी से सेवानिवृत्त हुए हैं, इनकी बहन दूतावास में सेवारत है जबकि उनकी पत्नी न्यायिक सेवा में है। मनीष 2005 तक पुलिस की सेवा में रहे परंतु दतिया में तैनाती के दौरान इन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया, ये 5 सालों तक अपने घर में ही रहे और इनके इलाज करने की कोशिश की गई, फिर अचानक यह अपने घर से 1 दिन निकल गए, काफी खोजबीन के बाद भी इनकी कोई खबर नहीं मिली। बाद में इनकी पत्नी ने भी इनसे तलाक ले लिया।
ऐसे आया मामला सामने
यह सब मामला तब सामने आया जब क्राइम ब्रांच के डीएसपी रत्नेश तोमर और उनके साथ ही डीएसपी विजय भदोरिया 10 नवंबर की रात को अपना ड्यूटी कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक भिखारी कचरे से खाना ढूंढने की कोशिश कर रहा था। इस भिखारी की यह हालत देख इन दोनों अधिकारी ने उसे सर्दी से बचाने के लिए जैकेट और जूते के साथ खाना दिए। अचानक उस भिखारी ने अफसरों को उसके नाम से बुलाया। सभी यह सुनकर चौक गए, जब इन्होंने उसका नाम पूछा तो सारा भेद खुल गया और यह उनका साथी बैचमेट मनीष मिश्रा निकला। इसके बाद इन सभी अधिकारियों ने मनीष मिश्रा को आश्रम स्वर्ग सेवा सदन भेज दिया और अपने साथी की उचित तरीके से देखभाल और इलाज की व्यवस्था की।
